SahityasetuISSN: 2249-2372Year-4, Issue-3, Continuous issue-21, May-June 2014 |
माँ का दर्द
मेरे एक परिचित सज्जन (जो कि एक प्रतिष्ठित शिक्षा-संस्थान मे प्रोफेसर है)के एकमात्र बेटे रोहन की शादी मे मै नही जा पाई थी,सो शादी के एक महीने बाद उनसे मिलने उनके घर गई |
उनका बेटा रोहन देश की प्रतिष्ठित I.I.T. मे पीएच. डी. कर रहा है |छह महीने मे उसका पीएच.डी.पूरा होनेवाला है, इसलिए वह शादी के कुछ दिनों बाद ही पढ़ाई के लिए चला गया था |घर पर केवल रोहन की माँ मिली |
बेटा-बेटी की शादी की बात हो तो अक्सर ऐसा देखा गया है कि बेटी की बजाय बेटे की शादी मे माँ का उत्साह चरम सीमा मे होता है इसलिए शादी के ढेरसारे कामो की थकान उस उत्साह के आगे कम लगती है |पर यहा रोहन की माँ की बात कुछ और थी |वो मुझे बता रही थी कि बहन अब मेरे पैरों मे दो कदम चलने की भी ताकत नहीं रही |मैने तुरंत कहा कि आप होस्पिटल जाकर इलाज क्यों नहीं करवा लेती ?मेरा इतना कहते ही उनकी आखे भर आई | मुझे समझते देर नहीं लगी कि उनका दर्द शारीरिक नहीं,बल्कि मानसिक है |
थोड़ा स्वस्थ होने के बाद उन्होने बात शुरू की |शादी के बाद बेटा बहू को उसके मायके छोड़कर अपनी पढ़ाई के लिए I.I.T.चला गया |इस समय के दौरान उनको अपने नये खरीदे हुए फ्लेट मे अपना आवास बदलना था |उनका और उनके पतिदेव का विचार था कि अपना बेटा तो इस मौके पर इतने दूर I.I.T. से आ नहीं सकेगा मगर बहू का मायका तो यहा अहमदाबाद मे ही है, इसलिए बहू को फोन किया कि-बेटी अपने नये फ्लेट का गृहप्रवेश चैत की प्रथम नवरात्रि के दिन तय हुआ है और हम चाहते है कि इस घर की लक्ष्मी होने के नाते गृहप्रवेश तुम्हारे पवित्र कदमों से हो |बहू ने फोन मे बताया कि मै उस दिन सुबह आ जाऊँगी |बहू से फोन मे जो बात हुई वह माँ ने रोहन को भी फोन मे बताई | इस पर बेटा माँ पर उलज पड़ा और माँ को फोन मे डाँटते हुए कहने लगा कि-तुम्हें किसने उससे फोन पर बात करने को कहा था ?वह तभी आएगी जब मै घर आऊँगा,और दूसरी बात तुम्हें इतना अकेलापन महसूस होता है तो तुम्हें पहले सोचना चाहिए था,तुमने दो-चार और बच्चे क्यों नहीं जने ?इतना कहते-कहते उनकी आंखों मे आँसुओ की बाढ़-सी आ गई थी |आगे बोली कि अब आगे के शब्द मै आपको नहीं बता सकती...
थोड़ा स्वस्थ होने के बाद उन्होने मुझे बताया कि हमने यह सोचकर दूसरी संतान पैदा नहीं की कि रोहन के लालन-पालन मे हम अपना पूरा तन-मन-धन लगा सके और हमने ऐसा किया भी |बहुत सारी बाते करते-करते अंत मे वो मुझे बता रही थी कि बहन आज मुझे अपने आप से सवाल हो रहा है कि क्यों मैंने एक ही संतान को जन्म दिया ?अगर मेरी एक बेटी भी होती तो आज औरत के नाते औरत का दर्द समजती |
अंत मे मैंने उन्हे सांत्वना देते हुए कहा कि-आप हाँसला रखो,अपने-आपको संभालो |अगर आप इसी तरह भावुकता मे बहकर अपना स्वास्थ्य खराब करोगी तो तुम्हें कौन संभालेगा ?आपने अपने बेटे की अच्छी पढ़ाई मे अपना हाथ बटाया,धामधूम से उसकी शादी भी करवाई और कल उसे अच्छी नौकरी भी मिल जायेंगी |अब आपको अपनी खुद की खातिरदारी करनी है और साथ ही अपने पतिदेव का भी खयाल रखना है |इतना कहते हुए मै वहा से निकल गई क्योकि एक माँ का दर्द मै इससे अधिक नहीं देख सकती थी |
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डॉ. कपिला मंगलदास पटेल
आसिस्टंट प्रोफेसर,
Indian Institute of Teacher Education,
Gandhinagar, Gujarat.
आवास: बी-18 चंद्रप्रभु सोसायटी,तलोद,जि. साबरकांठा
मोबा.9998873413
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