अतिथि तुम कब जाओगे | तापस चक्रवर्ती
माना कि हमारे देश में “अतिथि देवो भवो” कहा जाता है पर ये क्या बात हुई कि तुम एक बार हमारे घर में घुस कर बाहर निकलने का नाम ही नहीं ले रहे हो. दुनिया भर में 210 से अधिक देश तुमसे पहले ही त्रस्त थे और तुम बिन बुलाये ही हमारे देश में भी अवैध रूप से प्रविष्ट हुए.तुम 30 जनवरी से यहाँ काबिज हुए और जैसे कि उम्मीद थी जल्दी ही रुखसत हो जाओगे पर ऐसा हुआ नहीं. तुम्हारे “रक्तबीज” अवतारों ने अभी तक समस्त विश्व के करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में लिया है और न जाने कितनों की जान से खिलवाड़ किया है.कभी “क्वारंटाइन” और “लॉकडाउन“ सुना भी नहीं था पर अब तुमने इसका मतलब अच्छी तरह से समझा दिया है.तुम्हारी धृष्टता के चर्चे अब सबकी जुबान पर हैं.तुमने हमारे जीवन को ऐसा प्रभावित किया कि “मास्क” और “सेनीटाइज़र” हमारे शरीर का ही एक हिस्सा लगने लगे है अब.“पी.पी.किट“ और “वेंटीलेटर” भी हर दिन की जरुरत बनते जा रहे हैं.
तुम्हारे ही कारण सरकार को मजबूर होकर लॉक डाउन करना पड़ा जिसके कारण लोग जहाँ तहाँ अटक गए और दो महीने से ज्यादा उन्हें वहीं बिताना पड़ा.कोई रिश्ता देखने पहुंचा था पर अटक गया तो कोई कहीं घूमने गया था परन्तु तुमने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा.इन सबने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था ?इसी के ही प्रभाव से सैंकड़ों युवाओं की नौकरी चली गयी और वे बेरोजगार हो गए हैं. पढ़े लिखे ग्रेजुएट्स और इंजिनियर जो गुरुग्राम और नोएडा जैसे शहरों में सेटल्ड थे और आई.टी.सेक्टर में नौकरी कर रहे थे,आज वो आजीविका कमाने के लिए अपने गाँव में खेती का कारोबार करने पर विवश है.ऐसे न जाने कितने युवकों को इन दिनों मजबूरी में मनरेगा के अंतर्गत भी विभिन्न कार्यों में लगना पड़ रहा है. परन्तु लॉक डाउन और ले ऑफ के मध्य,एक अच्छी खबर यह भी है कि हेल्थ एवं एजुकेशन सेक्टर में काफी भर्तियाँ हो रहीं हैं.अमरीकी कंपनी अमेज़न और गूगल ने बड़ी संख्या में युवकों को रोज़गार देने की घोषणा की है.
इन दिनों पुलिस वाले, डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ और एम्बुलेंस ड्राईवर सभी कोरोना वारियर्स बन चुके हैं .वे अपने पारिवारिक दायित्वों को भूलकर मरीजों की सेवा में दिन रात बिता रहे हैं.उनकी जितनी भी तारीफ की जाए वो कम है.दायित्व के प्रति उनकी लगन,तुमको मुंह चिढ़ाने जैसी है.तुम्हारे ही कारण ममता एक बार फिर से परिभाषित हुई.लखीमपुर खीरी में कोविड से पीड़ित बच्चों की माँ को एक अस्पताल में अपने बच्चों के पास रुकने पर मजदूर होना पड़ा तो दूसरी ओर कोलकाता के एक अस्पताल में एक महिला के नवजात बच्चे को एक नर्स ने अपना दूध पिलाकर ममता की एक नई मिसाल कायम की.इसी दौरान 1200 किमी का सफ़र साइकिल से तय कर अपने बीमार पिता को गुरुग्राम से बिहार में दरभंगा तक पहुँचाया एक लाड़ली ने.कानपुर में तो एक युवती,80 किमी की लम्बी यात्रा पैदल और बिना कुछ खाए पीये,तय कर कन्नौज पहुंची और शाम तक वह अपने विवाह मंडप में थी.पाँव में घाव थे और छाले पड़ चुके थे पर उसके आगे सब हार गए.कुछेक मेहमानों की उपस्थिति में उसका विवाह संपन्न हुआ.कोरोना तुम्हारे फायदे अनेक हुए.एक महिला को इसी लॉक डाउन के भीतर अपना खोया बेटा भी मिल गया.अगर तुमने अपना यह रूप न दिखाया होता तो हम सब यह कैसे जान पाते कि ऐसा भी हो सकता है.
पर देखा जाय तो तुम्हारे ही कारण हम अब काफी कुछ नया भी सीख गए हैं.कुछ स्कूल हैं जो तुम्हारा दिल से धन्यवाद् करना चाहेंगे क्योंकि क्वारंटाइन में रहने के दौरान कई जगहों पर युवकों ने स्कूल की दशा ही बदल कर रख दी.ये वे युवक हैं जो इन्हीं विद्यालयों के छात्र रह चुके थे.यह उदाहरण तो कई जगह देखने को मिला जैसे पिथौरागढ़,चम्पावत और उन्नाव.कुछ ही दिनों में उन्होंने अपने अपने स्कूलों को इन्द्रधनुषी रंगों में रंग दिया.
कुछ किस्से तो ऐसे हैं जिनका श्रेय तो तुमको ही दिया जाएगा.सांप्रदायिक एकता के तो अनगिनत किस्से इस दौर में सुनकर फख्र होता है कि हम एक ऐसे देश के नागरिक हैं जहाँ हिन्दू-मुस्लिम भाई भाई का नारा आज भी सजीव है.कई लोगों ने चंदा कर ऑस्ट्रेलिया से एक भारतीय के शव को लाने में मदद की.दिल्ली में एक मशरुम उगाने वाले किसान ने अपने 10 श्रमिकों को हवाई टिकट की व्यवस्था कर बिहार में उनके घर समस्तीपुर तक पहुँचाया. मुंबई में फंसे झारखण्ड के 180 मजदूरों के दो सपने पूरे हुए.एक तो इस मुश्किल समय में अपने घर पहुँच गए,दूसराजीवन में पहली बार हवाई यात्रा करने का मौका मिला.यूनाइटेड अरब एमिरात के एक एन.आर.आई.होटल मालिक ने करीब 37 लाख खर्च कर अपने स्टाफ के 188 सदस्यों को केरल के अपने घरों तक पहुँचाकर सराहनीय कार्य किया. ईंट भट्टों के एक मालिक ने करीब 8.51लाख रुपये खर्च कर एक पूरी ट्रेन को किराये पर लिया और अपने 1756 श्रमिकों को उनके गृह राज्य बिहार तक पहुँचाया.भाई चारे के इससे बढ़कर और क्या उदाहरण मिल सकते हैं.मेरठ शहर में ज्वेलरी कारोबार में संलग्न पश्चिमी बंगाल के कुछ श्रमिक जब लॉक डाउन में फंस गए तो पहले तो उन्होंने ट्रेन से जाने के विकल्प खंगाले.उन्होंने घर घर घूमकर चंदा किया गया और रकम इकट्ठी की.फिर इसी प्रकार,कई बसों के माध्यम से कुल 188 श्रमिक अपने शहर पहुँच सके .
प्रवासी श्रमिक वर्ग पर तुम्हारा प्रभाव शायद सर्वाधिक रहा.उनके कोप से तुम्हे कोई भी नहीं बचा सकेगा. उन्होंने परिवार और बच्चों समेत कई हज़ार किमी पैदल चल कर गर्मी और भूख का सामना किया.काम था नहीं और जमा पूँजी ख़त्म हो गयी.सरकारी सहायता पूरी नहीं पड़ी तब ज्यादातर श्रमिक अपने अपने घरों की ओर चल पड़े.सड़कों पर जैसे मजदूरों के रेले निकल पड़े हों.स्थान-स्थान पर ह्रदय विदारक दृश्य भी देखने को मिले.सड़कों पर चल रहे इन प्रवासी श्रमिकों को कई स्थानों पर दुर्घटनाओं का भी सामना करना पड़ा.कोरोना,मत भूलो कि हर श्रमिक के खून का एक-एक कतरा तुमसे बदला अवश्य लेगा.
इन दिनों लॉक डाउन से परेशान होकर कई जगह सुसाइड आदि के भी संवाद मिलते रहे .एक दिन तो तीन दम्पत्तियों ने अपनी जीवन लीला ख़त्म की.मनमीत ग्रेवाल,प्रेक्षा मेहता और सुशील गौड़ा आदि कई फ़िल्मी सितारे भी तुम्हारी भेंट चढ़ चुके हैं.किसी स्थान पर तो एक व्यक्ति ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उसे जो मुफ्त राशन सरकार की तरह से मिल रहा था उसमें सिर्फ चावल और दालें थी.कोई सब्जी इत्यादि नहीं.उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि वह सिर्फ दाल-चावल खाकर आजिज़ आ चुका है.कोरोना,ऐसे सभी लोगों की आत्मा जब तक भटकती रहेगी तब तक तुमको चैन से नहीं बैठने देंगे.
कोरोना,तुम्हारा सबसे बड़ा फायदा तो शायद पर्यावरण के क्षेत्र में है. खबर है कि गंगा नदी का जल इन दिनों बेहद स्वच्छ हो चुका है. इसका प्रमुख कारण लॉक डाउन के कारण घाटों का,उद्योगों का एवं होटल-रेस्टोरेंट आदि का बंद होना है.देश की सड़कों पर जगह जगह हिरणों और हाथियों के झुण्ड नज़र आये. यह भी देखा गया कि तरह तरह के रंग बिरंगे पक्षियों के दल ऐसी जगहों पर देखे जाने लगे जहाँ इससे पहले शायद ही कभी देखे गए हों.पर्यावरण के साफ़ होने का सबसे बड़ा परिणाम यह भी रहा कि चंडीगढ़ और सहारनपुर जिलों से सुदूर हिमालय पर्वत की चोटियों के स्पष्ट दीदार होने लगे .
लॉक डाउन के दौरान बॉलीवुड के कुछ सितारों और क्रिकेटरों ने प्रवासियों की जी जान से सेवा की और उनको उनके गृह प्रदेशों तक पहुँचाया. तुम्हारे इस प्रवास काल में रेलवे स्टेशन के कुलियों पर तो बुरी बीती पर लखनऊ के एक कुली ने एक नयी मिसाल कायम की.जब से सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलवाई हैं तभी से ये कुली महोदय प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए दौड़े आते हैं और उनको ट्रेन से सामान सहित उतरने में मदद करते हैं.मजे की बात ये है कि इस सब का वे कुछ चार्ज भी नहीं करते हैं.सही अर्थ में ऐसे ही लोग कोरोना वारियर्स हैं.न होते कोरोना तुम तो न होती ऐसे “सूफी“ कुलियों की पहचान.
इस वर्ष प्रमुख धार्मिक आयोजन आदि पर भी तुम्हारे ग्रहण का साया रहा जैसे ईद,अमरनाथ यात्रा,वैष्णो देवी यात्रा,चार धाम यात्रा,रथ यात्रा से लेकर कांवड़ यात्रा सभी कुछ इस वर्ष प्रभावित हैं.यहाँ तक कि अगले वर्ष होने वाले हरिद्वार के कुम्भ मेले पर भी आशंका के बादल लहरा रहे हैं.इस दौरान भले ही धार्मिक गतिविधियाँ बंद रही हों पर गुरुद्वारों ने अपने दरवाज़े लंगर के लिए खुले रखे और लाखों लोगों को भोजन प्रदान करने के लिए इन गुरुद्वारों की बहुत प्रशंसा की गई.विश्व के किसी भी कोने में शायद ऐसा संभव नहीं था.
भारतवासी तो मान रहे थे कि पाप का अंत होकर अब कलयुग समाप्त होने वाला है और विष्णु भगवान ने “कल्कि“ अवतार ले लिया है मगर हमें मिला “कोरोना” अवतार.तुमने तो यहाँ की शिक्षा व्यवस्था भी लचर कर दी है.प्राइमरी स्तर के बच्चों के लिए भी “ऑनलाइन” कक्षाएं लिए जाने से बच्चों को तरह तरह की मानसिक तनाव तथा मोबाइल एडिक्शन आदि बीमारी की शिकायत हो रही है.अब तो सभी प्रकार की पढ़ाई इन दिनों ऑनलाइन माध्यम से ही हो रही है.
वर्क फ्रॉम होम अब एक निश्चित सिद्धांत बन चुका है.विभिन्न सरकारी एवं निजी कम्पनियाँ इन दिनों वर्क फ्रॉम होम के लिए ह्यूमन रिसोर्स पालिसी तैयार करने में व्यस्त हैं.इससे कर्मचारी तो खुश हैं ही,उनके एम्प्लायर भी खुश हैं क्योंकि उनके खर्च में बहुत कटौती हो रही है.जबसे तुम्हारा प्रकोप देश में फैला है स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल और बढ़ गया है.लोग घरों में क़ैद रहे हैं और सिनेमा,मोबाइल गेम्स और फेसबुक,व्हाट्स एप आदि सोशल मीडिया साइट्स में व्यस्त हुए तो स्मार्ट फ़ोन का यूज़ कई गुना बढ़ गया.रही सही कसर पूरी कर दी ऑन लाइन क्लासों ने .
तुमने हमारी अर्थ व्यवस्था को भी गहरी चोट पहुंचाई. बैंक्वेट हॉल्स के मालिकों को भी कहीं का नहीं छोड़ा.उन्हें फिर से बुकिंग लेने की इजाजत तो मिल गयी है पर इतने सारे नियम हैं कि बस.सोशल डिस्टेंसिंग तो होगी ही और कुल मेहमानों की संख्या भी सीमित रहेगी. उनका मानना है कि ऐसे तो अपने खर्चे निकालना भी मुश्किल होगा.तुमने हमारे देश में शौपिंग मॉल्स और उसके ब्राण्डेड शोरूम के मालिक किरायेदारों की भी अच्छी तरह से बैंड बजा दी.करीब तीन माह से जब व्यवसाय बंद हो गए तो शोरूम मालिकों ने मॉल्स के मालिकों से लॉक डाउन की अवधि का सम्पूर्ण किराया माफ़ करवाया.अच्छी खबर यह भी रही कि कुछ कम्पनियों का कारोबार तुम्हारे इस दौर में खूब फला फूला है.मार्च से लेकर अभी तक के आंकड़ों से ये पता लगा है कि कुछ उत्पाद जो सबसे अधिक बिके हैं वो हैं डिशवाशर,लैपटॉप और साईकिल.कारण स्पष्ठ है कि जब बर्तन धोने के लिए मेड्स घरों में नहीं घुस पांई तो डिशवाशर के लिए नया स्लोगन बन गया ”जो बीवी से करे प्यार, वो डिशवाशर से कैसे करे इंकार”.लैपटॉप के बिकने का भी सर्वाधिक कारण है “वर्क फ्रॉम होम” वाली नौकरी और “ऑनलाइन” पठन-पाठन.साईकिलों की बिक्री अचानक बढ़ गयी क्योंकि लॉक डाउन के दिनों से लोग अपनी फिटनेस पर ज्यादा ध्यान देने लगे है.
तुमने परिवहन,रियल स्टेट अथवा प्रॉपर्टी का व्यवसाय करने वाली कंपनियों का जीवन दूभर कर दिया.ग्राहक देरी के लिए डीलर्स को कोस रहे हैं और डीलर्स सरकारों को.मजदूर बहुत दुर्लभ हो गए हैं.सरकार ने नियमों में थोड़ी ढील अवश्य दी है पर इससे किसी का कुछ होने वाला नहीं है.एक अनुमान के अनुसार प्रॉपर्टी के रेट्स शीघ्र ही पिछले दस वर्षों के सबसे न्यूनतम स्तर पर होंगे.विगत तीन माह में खेल कूद के प्रशिक्षण और स्पर्धाओं पर रोक लगी रही परन्तु अब प्रशिक्षण पुनः प्रारंभ हो चुका है.स्पर्धाएं भी शुरू हो चुकी हैं पर इनमे एक ख़ास बात यह होगी कि दर्शक नहीं होंगे.सभी मुकाबले खाली स्टेडियमों में ही होंगे जब तक आप विराजमान हैं.ऐसे क्रिकेट और फुटबॉल के कुछ मुकाबले हाल ही में खेले भी जा चुके हैं.पर्यटन भी जल्दी ही अपनी रफ़्तार पकड़ने लग रहा है.कई राज्यों ने तो सीमित स्तर पर पर्यटन गतिविधियों को प्रारंभ करने का ऐलान भी कर दिया है.
जब से तुमने हमारे देश में कहर बरपाया है हमने कई किश्तों में “लॉक डाउन” और “अनलॉक” का अनुभव कर लिया है.बेशक हमारे देश में तुम्हारी मार तो बहुत हुई है परन्तु समय पर लॉक डाउन घोषित होने से अच्छे परिणाम निकले और एक अनुमान के अनुसार मौत के आँकड़ों को करीब 70000 तक कम किया जा सका.और हाँ, लाखों पॉजिटिव केसों में से 60% से ज्यादा की रिकवरी हो चुकी है और डेथ रेट 3% से कम है.यह विश्व के कई अन्य देशों से बेहतर प्रदर्शन है .
कोरोना अब तो भागो कि रामदेव आते हैं.लगता है तुमको पता ही नहीं कि कुछ दिनों पहले स्वामी रामदेव के पतंजलि योगपीठ ने तुम्हारा इलाज लगभग निकाल ही लिया है.उनकी कंपनी ने “कोरोनिल“ नाम से एक दवाई बना ली है जिसके सेवन से हमारी इम्युनिटी में इजाफ़ा होगा और तुम कहाँ टिक पाओगे समझ लो.हमारे यहाँ तो लोगों की इम्युनिटी वैसे ही बेहतर है.एक अस्पताल में एक 97 वर्षीय व्यक्ति भी तुम्हारे प्रकोप से बचकर और ठीक होकर बाहर आने की हिम्मत रखता है. कोरोना,यह भी स्पष्ट सुन लो कि अगर तुम शराफत से नहीं माने तो फिर तुम्हे भगाने का इन्तजाम भी होने जा रहा है.देश के कई हिस्सों में तुम्हारे इलाज के लिए वैक्सीन बनाने का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है.यह उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही तुम से निजात मिल सकेगी.सबसे पहले आने वाले वैक्सीन का नाम कोवेक्सिन है.एक बार ये वैक्सीन आने दो फिर देखना.
सभी देशों की तर्ज़ पर हमारे देश ने भी तुम्हारे काल से पीड़ित देशवासियों के लिए मई माह में एक आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है.श्रमिकों,किसानों तथा लघु उद्योगों सभी के लिए इसमें कुछ न कुछ है. सरकार ने 80 करोड़ लोगों को नवम्बर तक मुफ्त राशन देने का प्रस्ताव भी रखा है.इसके अलावा तुम से बचाव के लिए सबको तुमसे दूर रहने को कहा जा रहा है क्योंकि सभी लोग अब यह समझ चुके हैं कि “कोरोना की कोठरी में कैसो ही सयानो जाए, एक लीक कोरोना की लागे है सो लागे है”.तुम्हारी बेहतरी इसी में है कि तुम जहाँ से आये थे चुपचाप वहीं लौट जाओ तुमसे कोई कुछ नहीं कहेगा. वरना तुम्हारी खैर नहीं !!
*****