टिक टॉक की चाल समाज बेहाल | डॉ निर्मला शर्मा
टिक टॉक की टिक टिक ने
किया हाल बेहाल
कोरोना की आड़ में
चीन हुआ खुशहाल
कहते छाती ठोक कर
टिक टॉक के अधिकारी
मूर्ख, जड़बुद्धि निठल्ले हैं
जो बनाते वीडियो विचित्रकारी
ग्रामीण हो या शहरी साक्षर या
निरक्षर लगा वर्ग सर्वहारा
टिक टॉक के जाल में
फडफड़ा रहा भारतवर्ष हमारा
मासूमियत कहीं खो गई
फँसा बचपन भी प्यारा
जुनून सिर चढ़कर बोल रहा
उनके आगे अनुभव हारा
कोई पर्वत पर चढ़ रहा
कोई चला समुद्र बीच धारा
आसमान में लटका है कोई
फंदा गले में लगा रहा
कैसी ये सनक चढ़ी युवाओं में
कैसा ये विकट समय आया
फूहड़ता और हिंसा को भी
समाज मनोरंजन में बिता रहा
आभासी दुनिया का ये
संवेदनाहीन संसार बना
जीवन से नैतिकता छिन गई
मानव स्वयं काल का गाल बना
संस्कार, संस्कृति का सर्वत्र
हो रहा विपुल अपमान है
ये कैसी युवाओं की दुनिया है
ये बना कैसा विचित्र संसार है
होने को दुनिया में प्रसिद्ध
दिखने को किसी विधा में सिद्ध
भटकन की इस अबूझ पहेली में
समाज का युवा भटक रहा
इस तिलिस्म की वैली में।
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