कौरोना संकट काल पर एक सवैया | डॉ गंगाप्रसाद शर्मा 'गुणशेखर'
ग्रीसम काल,तपै धरती, पर पैदल ही परिवार सम्हारे।
कोसन कोस चलें भरि आँसुनि, पाँयन छाले परे रतनारे।
सीसन पोटरीं, गोदन बालक,बेबस भूख औ प्यास के मारे।
गाम की आस में त्रास सहें सब जाइ रहे मजदूर हमारे।।
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भारतीय साहित्य परिषद वोट्सएप ग्रुप से साभार