माथे पर ये चमकती बिंदिया,
आत्मा का प्रकाश होती है;
हाथों में खनकती चूड़ियाँ,
दिल की धड़कन होती हैं।
पैरों में बजती ये पायल,
चहरे की मुस्कान होती है।
ना जाने क्यों, इस दुनियाने,
सौंदर्य के इन गहनों को;
सौभाग्य के नाम से जोड़कर
अस्तित्व को तोड़-मरोड़कर,
हाथों की हथकडी और
पैरों की बेड़ियों में जकड़ लिया !
मन में उठा सवालों का बवंडर हैं,
बदला सा परम्परा का समुन्दर हैं,
होंठो पे कुछ ओर ही लिखा हैं,
इन दिलों में गहरा राज़ छुपा हैं,
चहरे पे चहेरा ढ़का हुआ है,
बंदीसों का व्यापार तेज हुआ हैं।
कैसे में तोड़ू वक्त की जंजीरों को,
बचपन से सौभाग्य जुड़ा हुआ हैं !!