साथ
हररोज
तेरा साथ मिलता रहा -
सुबह की चाय से लेकर
शाम की मुलाकात तक
तसल्ली देती रही मुझे
तेरी खट्टी-मीठ्ठी बातें
दोपहर की कड़ी धूप में
हाँ
एक नशा-सा हो गया था मुझे
तेरे पास रहने का
लेकिन
तुझसे बिछड़ने के बाद
सीख भी लिया मैंने
तन्हाई को गले से लगाना